शुक्रवार, २४ एप्रिल, २००९

नींद ...............

नींद आंखों मैं नहीं, ख्वाब खो गए

तनहा ही थे, कुछ और तेरे बिन हम हो गए

दिल कुछ तड़प उठा, जुबान भी लड़खड़ाइ

तेरी याद मैं दो आंसू चुपके से बह गए !

ज़िन्दगी ............

जिंदगी सिर्फ़ मोहब्बत नही , कुछ और भी है
जुल्फ रुखसार की जन्नत नही , कुछ और भी है
भूख और प्यास की इस दुनिया मे ,
इश्क ही एक हकीकत नही कुछ और भी है

बरसात........

आस्मां भी बरस रहा है,
मेरे अश्को से टकरा रहा है,
किस्म है जोर ज्यादा शायद यह देख रहा है,
बरसात तो फिर भी रुक जायेगी,
मेरे अश्को का कोई अंत नही,
दिल मे है दर्द इतने जिसका कोई हिसाब नही.

mohabbat

मोहब्बत बेवफा के सिवा कुछ भी नही,
दुनिया गम के सिवा कुछ भी नही.
उनके पास हमारे सिवा सब कुछ है,
पर हमारे पास उनके सिवा कुछ भी नही.

शायरी 4

मर मिटे किसी जानशीन पर दिलों जान से इतना ,
के इज़हार --मोहब्बत भी कर बैठे,
फक्त रह गया मलाल इतना ,
व्हो कोई जवाब दे सके..

शायरी 3

मुफलिसों के नसीब मे अँधेरा होता है,
उनकी ज़िन्दगी मे न सवेरा होता है,
हर इल्जाम लग जाता है किसी मिस्कीं पे,
के उनकी ज़िन्दगी पे गुरबत का पहरा होता है.

न कोई हमदर्दी जतानेवाला होता है,
न कोई दिलो का हाल पुंछ्नेवाला होता है,
फक्त गरीब होना ही कसूर है किसी मिस्कीं का,
जनाजा भी उसे ख़ुद का आप उठाना होता है.

गुरबत मे जीनेवाला किस कदर तंग होता है,
जैसे कोई नबीना रंगू के लिए तंग होता है,
बहारें मुफलिसों की ज़िन्दगी मे जल्द आती नही,
अगर आजाएं, तो चिन्लेनेवाला ज़माना खड़ा होता है.

आह भरना भी मुफलिसों के लिए सितम होता है,
कोई मेहरबानियों का चलन न उनके साथ होता है.
सजाएं मिलती है बे-खता उनको,
जैसे अब्र का माह मे बरसना होता है…….

शायरी 2

मोहब्बत मैं करने लगा हूँ
उलझनों मे जीने लगा हूँ
दीवाना तो मैं था नही,लेकिन
तेरा दीवाना बनने लगा हूँ

प्यार का सफर करने चला हूँ
दिल की दुनिया बसने चला हूँ
मैंने ख्वाब अभी तक न देखे थे
तुझे देख के ख्वाबो मे जीने लगा हूँ

कभी बिखरता जा रहा हूँ
तो कभी सवारता जा रहा हूँ
कत्ल तो मुझे होना नही था,लेकिन
तेरी निगाहूँ से हुए जा रहा हूँ

उनसे दिल लगाये बहता हूँ
उन्हें अपना बनाये बहता हूँ
बस डर रहा हूँ येही सोच-सोच के
आज उनसे इजहार करने जा रहा हूँ